
ख़ुद की ज़िन्दगी आसान बनाने के लिए हर कोई काम करता है,लेकिन किसी और की ज़िन्दगी आसान बनाने के लिए किया गया काम अलग सुकून देता है…17 साल की उम्र में हुईं लकवाग्रस्त, आज 13 हज़ार से ज़्यादा दिव्यांगों की कर रहीं हैं मदद
कई दफ़ा कई लोग बचपन में ही ये निर्णय कर लेते हैं कि आगे चलकर उन्हें क्या करना है. इसके लिए वह पूरी कोशिश भी करते हैं. उनकी मेहनत और लगन में कोई कमी नहीं रहती. लेकिन, कई बार किस्मत ने उनके लिए कुछ और सोचा होता है. हालांकि जिसने सपने ऊंचे देखें हैं उसे सफलता न मिले, ऐसा कम ही होता है. वो किसी न किसी तरीके से अपने सपनों को उड़ान दे ही देते हैं. इसकी सबसे बड़ी उदाहरण हैं महाराष्ट्र के कोल्हापुर की नसीमा मोहम्मद अमीन हुज़ुर्क.
आज 69 साल की हो चुकी नसीमा महज़ 17 साल की उम्र में चल-फिर पाने में असक्षम हो गई थीं. नसीमा ‘दीदी’ नाम से मशहूर इस महिला ने पिछले 35 साल में Paraplysia से पीड़ित 13,000 से ज़्यादा लड़के और लड़कियों का पुनर्वास कराया है. नसीमा हेल्पर्स ऑफ़ द हैंडिकैप्ड कोल्हापुर (HOHK) की संस्थापक और अध्यक्ष हैं. यहां कई हज़ार दिव्यांगों के लिए सेवा उपलब्ध कराई जाती है.
एथलीट बनने का था सपना
नसीमा ख़ुद भी पैराप्लेज़िया से जूझ रही हैं. ये एक ऐसी बीमारी है, जिसमें व्यक्ति के दोनों पैर आंशिक रूप से या पूरी तरह लकवाग्रस्त हो जाते हैं.
नसीमा एक एथलीट बनना चाहती थी. लेकिन, इस बीमारी ने सब बदल दिया. एक दिन उनकी मुलाकात एक व्यापारी से से हुई. यह व्यापारी भी इसी बीमारी से ग्रस्त था. इस व्यापारी से हुई मुलाकात ने नसीमा की ज़िंदगी पलट दी और यहां से उन्हें एक नए जीवन की प्रेरणा मिली. इस व्यक्ति के पास ऐसी कार थीम जिसे उसके लिए डिज़ाइन किया गया था. और वो इस कार को ख़ुद चलाता था.
शुरू हुआ सिलसिला
इसके बाद नसीमा ने अपनी पढ़ाई शुरू की और सेंट्रल एक्साइज़ एंड कस्टम्स विभाग में उन्हें नौकरी मिली. वो नौकरी से अलग कुछ करना चाहती थी. लिहाज़ा उन्होंने नौकरी छोड़ दी और Retirement के पैसों और कुछ लोगों की मदद से ‘पंग पुनर्वासन संस्थान’ खोला. यहां पैराप्लेज़िक्स से पीड़ित लोगों को आसरा मिलता था.
इसके बाद साल 1984 में कुछ दोस्तों की मदद से ‘हेल्पर्स ऑफ द हैंडिकैप्ड कोल्हापुर’ संस्थान खोला. यहां मानसिक और इमोशनल परेशानियों समेत लोगों को आत्मनिर्भर बनाने में मदद की जाती है. ख़ुद की ज़िन्दगी आसान बनाने के लिए हर कोई काम करता है, लेकिन किसी और की ज़िन्दगी आसान बनाने के लिए किया गया काम अलग सुकून देता है.