
इतनी सारी विफलताएं देखीं, लेकिन कभी खुद को हारने नहीं दिया..टीम वर्क में विश्वास…शुभम की प्रेरणादायी कहानी…भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट का पद संभालेंगे
पंजाब के लवली प्रोफेशनल यूनिवर्सिटी से बीटेक करने वाले शुभम की बचपन से इच्छा इंडियन डिफेंस सर्विसेज में जाने की थी। उनका यह सपना पूरा हुआ है और वे अगले महीने देहरादून स्थित मिलिट्री एकेडमी में ट्रेनिंग के लिए जा रहे हैं, जिसके बाद वे भारतीय सेना में लेफ्टिनेंट का पद संभालेंगे। शुभम ने स्कूली दिनों में ही तय कर लिया था कि उन्हें आगे क्या करना है? किस क्षेत्र में अपना भविष्य बनाना है।
आठवीं कक्षा में वे राष्ट्रीय कैडेट कोर्प (एनसीसी) का हिस्सा थे। वहां माउंटेनियरिंग एवं अन्य एडवेंचर एक्टिविटीज को लेकर काफी एक्सपोजर मिला। प्रशिक्षण करते हुए ही उनकी रुचि भारतीय फौज में शामिल होने की हुई। उन्होंने सैनिक स्कूल की प्रवेश परीक्षा दी, लेकिन उसमें सफल नहीं हो सके। फिर भी हार नहीं मानी और आगे चलकर एनडीए की परीक्षा में शामिल हुए। लिखित क्लियर कर लिया, लेकिन इंटरव्यू में नाकाम रहे। वे बताते हैं, ‘इन तमाम असफलताओं के बावजूद मैंने लक्ष्य का पीछा करना नहीं छोड़ा। बीटेक करते हुए डिफेंस सर्विसेज की तैयारी करता रहा। कॉलेज में नौ से पांच बजे तक क्लास होती थी। लेकिन मैं रोजाना तैयारी के लिए तीन से चार घंटे निकाल ही लेता था। ये मेरा आखिरी अटेम्प्ट था और मैं सफल रहा।‘
शुभम ने कहीं से कोई कोचिंग नहीं की। सेल्फ स्टडी के अलावा ऑनलाइन माध्यमों से सहायता ली। पढ़ाई के साथ-साथ शारीरिक प्रशिक्षण पर ध्यान दिया। नियमित एक्सरसाइज, दौड़ आदि किया। इंजीनियरिंग करने के दौरान कॉलेज में भी काफी कुछ सीखने को मिला। विशेषकर अपने सॉफ्ट स्किल्स पर काम करने, उसे तराशने का भरपूर अवसर मिला। वे बताते हैं, ‘एलपीयू में देश के अलग-अलग हिस्सों के छात्रों से संवाद होने के कारण मेरा एक नया नजरिया विकसित हुआ। इससे पूरा व्यक्तित्व बदल गया। फैकल्टी ने भी हमेशा प्रोत्साहित किया।‘ आगे की योजना के बारे में शुभम ने बताया कि वे आगामी तीन अक्टूबर को मिलिट्री एकेडमी को ज्वाइन करेंगे। वहां करीब डेढ़ साल की ट्रेनिंग के बाद वे लेफ्टिनेंट के तौर पर भारतीय सेना में शामिल होंगे। वे कहते हैं कि मैं टीम वर्क में विश्वास करता हूं। कोशिश रहेगी कि सबको साथ लेकर चलूं। उनका भरोसा एवं सम्मान हासिल कर सकूं।
भारतीय रक्षा सेवा के लिए खुद को शारीरिक एवं मानसिक रूप से कैसे तैयार किया, इस बारे में शुभम बताते हैं कि मैंने अब तक यही सीखा है कि कभी भी मन से हार नहीं माननी चाहिए। गिव अप नहीं करना चाहिए। मैंने इतनी सारी विफलताएं देखीं, लेकिन कभी खुद को हारने नहीं दिया। मेडिटेशन की मदद से नकारात्मकता से दूर रहा। मानसिक रूप से खुद को तैयार किया। इसमें अभिभावकों का भी काफी सहयोग मिला। हालांकि, वे चाहते थे कि मैं सिविल सर्विस में जाऊं। लेकिन उन्होंने हर प्रकार से उत्साहवर्धन किया, जबकि मेरे परिवार में किसी की भी सैन्य पृष्ठभूमि नहीं रही है। शुभम का निश्चय पक्का था कि उन्हें क्या करना है। इंजीनियरिंग कॉलेज में प्लेसमेंट के दौरान उन्हें अच्छी कंपनियों के ऑफर आए थे। लेकिन उन्होंने बड़े सैलरी पैकेज को चुनने की बजाय डिफेंस सेवा में जाने का निर्णय लिया।
शुभम मानते हैं कि डिफेंस सर्विस में तकनीकी एवं गैर-तकनीकी, साइंस एवं ह्यूमैनिटीज किसी भी फील्ड के युवा करियर बना सकते हैं। आज बेशक थोड़ी जानकारी का अभाव है। युवाओं को पता नहीं होता कि वे कैसे रक्षा सेवा में अलग-अलग माध्यमों से प्रवेश ले सकते हैं। यहां देश सेवा के साथ रोमांचक गतिविधियों में हिस्सा लेने का अवसर मिलता है। रिसर्च करने के मौके होते हैं। लेकिन जरूरी ये है कि युवा हार न मानें, बल्कि अपनी कमियों-कमजोरियों को दूर करने पर ध्यान दें। क्योंकि कई नौजवान होते हैं, जो एक बार में सफलता नहीं मिलने पर निराश हो जाते हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए। कभी रिजल्ट ओरिएंटेड थिंकिंग नहीं रखनी चाहिए। इसके विपरीत खुद को इंप्रूव करने एवं अपना सर्वश्रेष्ठ देने की कोशिश करनी चाहिए। अगर सेलेक्शन होता है तो ठीक, नहीं होता है तो फिर से प्रयास करें। एक न एक दिन सफलता जरूर मिलेगी।