
सुपोषण वाटिका में लाल भाजी, पालक और मूली तैयार
० आंगनबाड़ी केंद्र दुलकी में लहलहाने लगीं हरी सब्जियां
० जिले भर के आंगनबाड़ी केंद्रों में चल रहा है पोषण के लिए प्रयास
राजनांदगांव। बच्चों, गर्भवती महिलाओं व शिशुवती माताओं की अच्छी सेहत के लिए महिला एवं बाल विकास विभाग की ओर से लगातार विभिन्न प्रयास किए जा रहे हैं। इन्हीं प्रयासों के फलस्वरूप जिले के ग्राम दुलकी स्थित आंगनबाड़ी केंद्र में इन दिनों पोषक तत्वों से भरपूर लाल भाजी, पालक भाजी और मूली जैसी सब्जियां लोगों को लुभा रही हैं।
माना जाता है कि कुपोषण से लड़ने के लिए पौष्टिक आहार सर्वाधिक महत्वपूर्ण हैं। पौष्टिक आहार में भी हरी पत्तेदार सब्जियां एवं फल अति आवश्यक तत्व हैं। हरी पत्तेदार सब्जियों की आपूर्ति स्थानीय उपलब्ध संसाधनों के माध्यम से सतत् करने के लिए ही जिले में सुपोषण वाटिका के निर्माण को प्रमुखता दी गई है। इसी क्रम में बच्चों और महिलाओं के सुपोषण के लिए डोंगरगांव विकासखंड के ग्राम दुलकी स्थित आंगनबाड़ी केन्द्र में सुपोषण वाटिका का निर्माण किया गया है। यहां प्रमुख रूप से लाल भाजी, पालक भाजी और मूली उगाए गए हैं, जो सुपोषण के लिए काफी फायदेमेंद हैं। बताते चलें कि, आंगनबाड़ी केन्द्रों के माध्यम से वर्ष भर 03 से 06 वर्ष के बच्चों एवं गर्भवती महिलाओं को गरम भोजन प्रदाय किया जाता है। गरम भोजन में चावल, दाल, रोटी तथा सब्जी दी जाती है। इसके साथ ही साल के 12 महीनों में सब्जी की उपलब्धता बनी रहे एवं स्वाद तथा पोषण की पूर्ति होती रहे, इसके लिए पोषण वाटिकाओं का विकास कर उसमें स्थानीय साग-भाजी उगाई जाती है।
इसी तरह जिले के कई आंगनबाड़ी केंद्रों में पूरे वर्ष भर उपलब्ध होने वाली साग-भाजी जैसे लाल भाजी, पालक भाजी, मेथी भाजी, धनिया आदि तथा मुनगा, पपीता, अमरूद, आम, केला आदि का रोपण आंगनबाड़ी केन्द्रों में पोषण वाटिका बनाकर किया गया है। जिले 12 परियोजनाओं के लगभग सभी आंगनबाड़ी केन्द्रों तथा हितग्राहियों के घरों में सुपोषण वाटिका का विकास किया जा रहा है, ताकि आंगनबाड़ी के हितग्राही बच्चों, गर्भवती, शिशुवती माताओं के भोजन में पर्याप्त पोषण को बनाए रखा जा सके। बच्चे के जीवन में पोषण की शुरुआत तभी से हो जाती है, जब वह गर्भ में होता है। इस संदर्भ में यदि एनएफएचएस-4 के राजनांदगांव जिले के आंकड़ों को देखें तो यह पता चलता है कि, 15 से 49 आयु वर्ग की 32 प्रतिशत महिलाएं एनेमिक (खून की कमी से पीड़ित) पाई गई थीं। इसी तरह उचित खान-पान के अभाव में जिले में लगभग 37 प्रतिशत बच्चे कम वजन के पाए गए थे। इधर, सुपोषण वाटिका बनने से दुलकी गांव की गर्भवती महिला सरोज वर्मा बहुत खुश हैं। वह कहती हैं, आंगनबाड़ी कार्यकर्ता और मितानिनों के माध्यम से पोषण संबंधी जानकारी तो समय-समय पर मिलती ही रही है, अब सुपोषण वाटिका की भाजी सहित अन्य हरी-ताजी सब्जियां भी खाने को मिलेंगी जो स्वयं तथा गर्भस्थ शिशु की सेहत के लिए फायदे की ही बात होगी।
इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया, क्षेत्र के लोगों में सुपोषण के प्रति जागरूकता के साथ-साथ बच्चों और महिलाओं का समुचित पोषण ही पहली प्राथमिकता है। इसी कड़ी में जिले की पूरी 12 परियोजनाओं के सभी आंगनबाड़ी केंद्र कार्यकर्ताओं को सुपोषण वाटिका तैयार करने हेतु निर्देशित किया गया है और कई आंगनबाड़ी केंद्रों में पोषण वाटिका अब विकसित भी की जा चुकी है।
*पालक भाजी के फायदे
पालक भाजी में विटामिन-ए, विटामिन-सी, विटामिन-के, मैग्नीशियम, मैगनीज और आयरन पर्याप्त मात्रा में होते हैं। आंखों की रोशनी बढ़ाने, ऑक्सिडेटिव तनाव को कम करने और ब्लड प्रेशर को संतुलित बनाए रखने के लिए पालक भाजी का सेवन बहुत फायदेमंद होता है।
*लाल भाजी के फायदे
लाल भाजी छत्तीसगढ़ की प्रसिद्ध व लोकप्रिय सब्जी है। लाल भाजी की पत्तियां लाल रंग की होती हैं। इसे किसी भी मौसम में उगाया जा सकता है, लेकिन इसकी खेती ज्यादातर ठंड के मौसम में की जाती है। यह भाजी बहुत स्वादिष्ट होती है। लाल भाजी में कैल्शियम, फास्फोरस और विटामिन-सी होने की वजह से सेहत के लिए यह बहुत फायदेमंद मानी जाती है। यह शरीर में खून की कमी को दूर करने में काफी मददगार होती है।
*मूली के गुण
मूली में भरपूर मात्रा में फॉलिक एसिड, विटामिन-सी और एंथोकाइनिन पाए जाते हैं, इसलिए विशेषकर कैंसर और डायबिटीज रोगियों की अच्छी सेहत के लिए यह बेहद फायदेमंद होती है। मूली के संतुलित सेवन से थकान मिटती है तथा मोटोपे की समस्या भी नहीं होती।