
कविता:हरदम ही सर झुकाया,तेरी हर रजा पे मैंने
राजकुमार कसेर पिता स्वर्गीय राम प्रसाद कसेर की कविताओं में जीवन के यथार्थ पलों का मधुरतम चित्रण होता है।कविता का मूल भाव सहज और आसान शब्दो में समझा जा सकता है।वे प्राथमिक शाला सिरराभाटा विकासखंड डोंगरगांव राजनांदगांव में शिक्षक के रूप में पदस्थ है।
लटके हैं पाँव कबर में,और शहनाइयाँ सुना रहे हो
क्या इरादा है तेरा मालिक,क्या दिन दिखा रहे हो।
उड़ जाएगा कुछ ही पल में,जो पंछी ये तोड़ पिंजरा
उस पंछी के,क्यों तुम मन में,मोहब्बत जगा रहे हो ।
इक बार भी ना सोंचा,तुमने,यू खेलने से पहले
क्या पहले बनाया मुझको,क्या अब बना रहे हो।
हरदम ही सर झुकाया,तेरी हर रजा पे मैंने
कभी छीन जो गए थे,क्या उसको दिला रहे हो।
मेरी समझ से तो परे है,क्या मंजूर तुझे मालिक
फिलहाल जख्मे-दिल पर,तुम मरहम लगा रहे हो।