
पोषण रथ के माध्यम से दिया सुपोषण का संदेश
राजनांदगांव। महिलाओं और बच्चों की सेहत को सुदृढ़ बनाने एवं उनके पोषण के स्तर में सुधार लाने के उद्देश्य से राष्ट्रीय पोषण माह के अंतर्गत जिले में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी क्रम में पोषण के प्रति लोगों को सजग करने के लिए जिला प्रशासन की पहल पर कई क्षेत्रों में पोषण रथ के माध्यम से सुपोषण के प्रति जागरूकता का संदेश दिया जा रहा है।
राष्ट्रीय पोषण माह के दौरान छत्तीसगढ़ में पोषण रथ गांव-गांव पहुंचकर लोगों को सुपोषण के महत्व को समझा रहे हैं। ये रथ आडियो के माध्यम से पोषण और स्वच्छता का संदेश पहुंचा रहे हैं। पोषण रथ के माध्यम से राज्य शासन की सुपोषण संबंधी योजनाओं और महत्वपूर्ण जानकारियों का प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। इस दौरान डायरिया, एनीमिया, स्वच्छता तथा पौष्टिक आहार पर आधारित विभिन्न संदेशों का व्यापक प्रचार-प्रसार किया जा रहा है। यह पोषण रथ शुक्रवार को जिले के खैरागढ़, जालबांधा हाट बाजार, भोथी, पेटी, बिड़ौरी व शेरगढ़ पंचायत क्षेत्र पहुंचा। इस अवसर पर आंगनवाड़ी कार्यकर्ता-सहायिका व मितानिनों की मौजूदगी में पोषण रथ के माध्यम से कुपोषण को दूर भगाओ, पोषणयुक्त भोजन खाओ-सदैव अच्छी सेहत पाओ तथा जाने कुपोषण के दुष्परिणाम-जागरूक होकर दें अपना योगदान…जैसे प्रेरक नारे पर जोर दिया जा रहा है। इसी तरह ग्रामीण महिलाओं को एनीमिया और उससे होने वाले खतरे के बारे में बताया जा रहा है एवं उन्हें आयरन की गोलियां नियमित रूप से सेवन करने के लिए प्रेरित भी किया जा रहा है।
इस संबंध में महिला एवं बाल विकास विभाग की जिला कार्यक्रम अधिकारी रेणु प्रकाश ने बताया कि जिले के कुछ गांवों में पोषण रथ के माध्यम से ग्रामीणों को सुपोषण के प्रति प्रेरित किया गया है।
इसके अलावा 15 सितंबर से पुनः शुरू किए गए जिले के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों में रोजाना अनिवार्य गतिविधियों के साथ ही विभिन्न जागरूकता कार्यक्रम भी आयोजित किए जा रहे हैं। संबंधित क्षेत्र की महिलाओं को पोषणयुक्त भोजन व साफ सफाई के बारे में भी जागरूक किया जा रहा है। उन्हें पोषण के महत्व के बारे में समझाया जा रहा है। साथ ही महिलाओं और शिशुओं की स्वास्थ्य जांचकर पोषण के लिए उन्हें सजग किया जा रहा है। रेणु प्रकाश ने बताया कि सभी सुपरवाइजर को आंगनबाड़ी केंद्रों में गर्भवती व धात्री महिलाओं के साथ बैठक कर उन्हें जागरूक करने के निर्देश दिए गए हैं। उन्होंने बताया कि अंचल में जागरूकता कार्यक्रमों के फलस्वरूप अब लोगों में काफी बदलाव आने लगे हैं। बच्चों की सेहत को लेकर माताएं भी ज्यादा सजग होने लगी हैं।