शुरू हुआ मेला मड़ई का दौर….सांस्कृतिक धार्मिक आर्थिक स्वरूप का मिलन… आइए करे मेले का सैर …खुशियों की बहुरंगी छटा के साथ…..

राजनांदगांव: मेला मड़ई का दौर पूरे छत्तीसगढ़ में शुरू हो गया है।राजनांदगांव से महज 3 किलोमीटर में बसा मोहारा जहा कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर 3 दिवसीय मेला लगता है।मेला जो अपनी बहुरंगी छटा के साथ राज्य की सांस्कृतिक सम्पन्नता का जीवंत उत्सव है।

व्यस्तता भरी जीवनशैली में खुशियों का सौगात लाता है मेला। विभिन्न रंगों में सजे-धजे बच्चे,किशोर व युवक युवतियों का झुंड दिखते ही मन को शुकुन देता है।आकाश में झूलते झूले, सिंदूर टिकली की सजी धजी दुकाने,गुब्बारे खेल खिलौने वाला ।यहाँ आकर हर कोई खो जाना चाहता है।

मेला गए और गन्ने का मजा न लिए तब तक यह अधूरा लगता है।गरमा गरम जलेबी,प्रेम फैलाता प्रेम खजूर,मिठाई बताशा,मेले के पौष्टिक मिठाई है।मेला आर्थिक खुशहाली का प्रतीक है।कतारबद्ध मिठाई की दुकान छोटे बड़े साइज के मिठाई।लड्डू पेड़े की खूबसूरत सजावट बरबस ही सबका मन मोह लेती है।

गोलगप्पे चाट कार्नर की ठेले में लोगो का भीड़ कम ही नही होता है।कचौड़ी समोसे भजिया से होटल में अलग ही रौनक है।

यह है भारतीय संस्कृति का सांस्कृतिक सामाजिक विविधता भरी जीवनशैली का एक रूप।जो विभिन्न रंगों को सहेजकर रखा हुआ है।सोशल मीडिया में व्यस्त जीवनशैली में कुछ पल अपनो के साथ अपनो के लिए रिश्तो की कड़ी को और मजबूत बनाता है।


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