रोजमर्रा के कार्यों में छोटे-छोटे बदलाव लाकर भी हम अपनी दुनिया में बड़ा बदलाव ला सकते हैं..एक ऐसी लड़की की कहानी जो महिलाओं को सैनिटरी पैड बांटती है और पीरियड में हाइजीन का महत्व बताती हैं

बिहार के नवादा जिले के नक्सल प्रभावित इलाके में रहने वाली 19 साल की लड़की ने अपने स्तर पर समाज में बदलाव लाने का एक ऐसा प्रयास किया है जिसकी खूब सराहना हो रही है। इस लड़की का नाम मौसम कुमारी है।

मौसम जब 15 साल की थी तो उसने एक गरीब लड़की को पीरियड के दर्द से परेशान होते देखा। तभी से उसने अपनी पॉकेट मनी से गरीब परिवारों की लड़कियों को हर महीने सैनिटरी पैड बांटने की शुरुआत की।

तब से अब तक मौसम लगभग 4000 पैड गरीब लड़कियों में बांट चुकी हैं। महज 19 साल की उम्र में वे नक्सली प्रभावित राजौली ब्लॉक की 16 पंचायतों में 27 सैनिटरी पैड बैंक की शुरुआत कर चुकी हैं। मौसम के पिता का नाम छोटे लाल सिंह है। वे एक ट्रक ड्राइवर हैं।

मौसम ने जब इस काम की शुरुआत की थी तो उनके परिवार और आसपास के लोगों ने उन्हें इस काम को न करने की सलाह दी थी। लेकिन मौसम के समझाने पर उन्हें भी ये लगा कि समाज सेवा का इससे बेहतर कोई दूसरा तरीका नहीं हो सकता। फिलहाल मौसम हिस्ट्री में ग्रेजुएशन कर रही हैं।

COVID-19 लॉकडाउन के दौरान मौसम ने अपनी टीम के सदस्यों के साथ मिलकर 600 से अधिक पैड बांटे हैं। उनके सैनिटरी पैड बैंक में एक पैकेट पैड की कीमत 30 रुपए है। मौसम ने 16 लड़कियों की टीम बनाई है। वे अपनी टीम के साथ मिलकर महिलाओं और लड़कियों को पीरियड्स के दौरान हाइजीन का महत्व भी बताती हैं।

मौसम अपने क्षेत्र की आशा वर्कर्स के साथ मिलकर गांव की महिलाओं को फैमिली प्लानिंग के प्रति जागरूक भी करती हैं और उन्हें मुफ्त में फैमिली प्लानिंग किट भी उपलब्ध कराती हैं।

मौसम ने स्वास्थ्य मंत्री से गांव में एक क्लीनिक खोलने का आग्रह किया। ये उनकी कोशिश का ही परिणाम है कि गांव में ‘युवा क्लीनिक’ स्थापित हुआ है।


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