
महिला समानता दिवस…यह दिन एक बार फिर उन मेहनत करने वाली महिलाओं की याद दिलाता है जो तमाम मुश्किलों के बाद भी जिंदगी में मुकाम हासिल कर रही हैं.ऐसी ही प्रेरणादायक कहानी महिला समानता दिवस पर हम आपके लिए पेश कर रहे हैं। इनका जूनून और हौसला उन्हें नई पहचान देने में सफल रहा है…
महिलाओं को समानता का दर्जा दिलाने के लिए लगातार संघर्ष करने वाली दुनिया भर की तमाम महिलाओं के नाम है 26 अगस्त को मनाया जाने वाला ‘महिला समानता दिवस’। ये दिन एक बार फिर उन मेहनत करने वाली महिलाओं की याद दिलाता है जो तमाम मुश्किलों के बाद भी जिंदगी में मुकाम हासिल कर रही हैं।
पहले जहां मिलाएं घर की चार दीवारी में बंद थीं, वहीं अब वे हर कीमत पर अपने हक की लड़ाई लड़ रही हैं। ऐसी ही मेहनकश महिलाओं की कहानी महिला समानता दिवस पर हम आपके लिए पेश कर रहे हैं। इनका जूनून और हौसला उन्हें नई पहचान देने में सफल रहा है।
पूजा जून 2001 में एयरफोर्स की प्रशासनिक शाखा में शामिल हुईं और विंग कमांडर एयरफोर्स की ह्यूमन रिर्सोसेज पॉलिसी को चुनौती दी।
जब एयरफोर्स ने 2012 में स्थायी कमीशन का ऑप्शन दिया था, तब व्यक्तिगत कारणों से पूजा स्थायी कमीशन नहीं ले पाईं। उसके बाद उन्हें दूसरा अवसर नहीं दिया गया। एयरफोर्स ने अपनी स्वयं की एचआर पॉलिसी का हवाला दिया। जबकि ये सरकार या रक्षा मंत्रालय से स्वीकृत पॉलिसी नहीं थी।
पूजा ने इसी पॉलिसी को चुनौती दी और उनके प्रयासों से सुप्रीम कोर्ट ने थलसेना में महिलाओं को स्थायी कमीशन देने पर अपना फैसला सुनाया।
एक नजर इस साल महिलाओं के हक में हुए दो अहम फैसलों पर :
फैसला नं.# 1
सुप्रीम कोर्ट ने बेटियों के हक में बड़ा फैसला सुनाया। आदेश के मुताबिक, अब पिता की संपत्ति में बेटी भी बराबर की हिस्सेदार होंगी। सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि 2005 में हिंदू उत्तराधिकार (संशोधन) कानून आने से पहले पिता की मौत क्यों न हो गई हो, इसके बावजूद बेटी का हक बराबर का होगा।
फैसला नं.# 2
आर्मी में महिलाओं को बराबरी का हक मिलेगा। सरकार ने उन्हें स्थायी कमीशन देने का आदेश जारी किया है। महिलाओं को सेना की सभी 10 स्ट्रीम- आर्मी एयर डिफेंस, सिग्नल, इंजीनियर, आर्मी एविएशन, इलेक्ट्रॉनिक्स एंड मैकेनिकल इंजीनियर, आर्मी सर्विस कॉर्प, इंटेलीजेंस, जज, एडवोकेट जनरल और एजुकेशनल कॉर्प में परमानेंट कमीशन देने का फैसला किया गया।