हाथ नहीं थे,तो पैरों को साथी बना लिया… पैरों से लिखती और पेंटिंग करती है ये ज़िंदादिल लड़की…उनका मानना है,मुश्किलें किस के जीवन में नहीं हैं? भगवान मेरे दोनों हाथ बनाना भूल गए, लेकिन मैंने पैरों से जीना सीख लिया है.

जहां चाह, वहां राह…अगर आपके अंदर कुछ करने का जज़्बा है, तो दुनिया की कोई ताकत आपको सफल होने से रोक नहीं सकती. कुछ ऐसी ही कहानी असम की 21 साल की प्रिंसी गोगोई की. दिव्यांग प्रिंसी ने कभी अपने अपाहिज होने को कमज़ोरी नहीं माना और आज वो प्राइवेट हॉस्पिटल में फ्रंट डेस्क एग्जीक्यूटिव की नौकरी करती हैं.

प्रिंसी के दोनों हाथ नहीं हैं. मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, वो 12वीं तक पढ़ी हैं और पैरों से लिखती हैं. साथ ही, वह  पेंटिंग, सिंगिंग और स्पोर्ट्स की शौक़ीन हैं. सोनारी में जन्मी प्रिंसी के जन्म से ही दोनों हाथ नहीं है, प्रिंसी के जज़्बे का अंदाज़ा आप इस बात से लगा सकते हैं. उनका मानना है, “मुश्किलें किस के जीवन में नहीं हैं? भगवान मेरे दोनों हाथ बनाना भूल गए, लेकिन मैंने पैरों से जीना सीख लिया है.”

दिलचस्प बात है कि प्रिंसी अपने पैरों से सभी दैनिक काम करती हैं. लिखने से लेकर ब्रश करना आदि इसमें शामिल है. हाल ही में उनके द्वारा बनाई हुई एक पेंटिंग तीस हज़ार में बिकी है.

दिव्यांग बच्चों के लिए एक आर्ट स्कूल खोलने का सपना रखने वाली प्रिंसी को कभी स्कूल में एडमिशन नहीं मिला था. वह बताती हैं. “मुझे एक सरकारी स्कूल में पांचवीं में इसलिए एडमिशन नहीं दिया गया था, क्योंकि मेरे दोनों हाथ नहीं हैं. एक शिक्षक ने मेरी मां से कहा था कि वे ‘मानसिक रोगी’ बच्चे को भर्ती नहीं कर सकते. लेकिन, एक दरवाजा बंद होता है तो ईश्वर दूसरा खोल देता है. गांव के ही एक व्यक्ति की मदद से मेरा एडमिशन प्राइवेट स्कूल में हुआ, जहां से मैंने 10वीं पास की.”


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