सुरभि की डायरी…कैनवास में उकेरे हुए विविध रंगों की तरह विभिन्न राज्यों से आये साथी कलाकारों को देखकर ऐसा लगा जैसे मैं पूरे भारत को देख रही हूं…मैंने वहां महसूस किया कि कला की कोई शब्द या भाषा नही होती सीधे दिल का कनेक्शन होता है

मैं सुरभि वर्मा एक आर्टिस्ट हूं छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से ताल्लुक रखती हूं।सच ही कहा है किसी ने एक आर्टिस्ट की नजरें हमेशा कुछ न कुछ तलाशते रहती है।दुख,परेशानी जैसे शब्द मेरी डिक्शनरी में सबसे पीछे हैं।ब्रम्हकुमारिज संस्था के तरफ से विगत दिनों नेशनल पेंटिंग वर्कशाप आबू रोड में आयोजित की गई जिसमें पूरे भारत के लगभग 350 आर्टिस्ट आए हुए थे।कैनवास में उकेरे हुए विविध रंगों की तरह विभिन्न राज्यों से आये साथी कलाकारों को देखकर ऐसा लगा जैसे मैं पूरे भारत को देख रही हूं।

मैंने अपनी यात्रा ट्रेन से शुरू की
सच कहूं तो मुझे इस वर्कशॉप का पिछले 2 वर्षों से इन्तेजार था।गत वर्षों में कोविड की वजह से इसका आयोजन नही हो पाया।जैसे ही सूचना मिली कि माउंट आबू जाना है मैंने अपनी तैयारी पूरी कर ली।ट्रेन में बैठने के बाद हमने राहत की सांस ली।छत्तीसगढ़ से इंदिरा कला संगीत विश्वविद्यालय से 29 आर्टिस्ट भी साथ मे थे।सफर और मजेदार तब बन गया जब हमने अपनी बोगी में बैठे लोगों का पेंटिंग बनाना शुरू किया।और सभी को पेंटिंग गिफ्ट भी किये।सफर में हैप्पीनेस और पीसफुल लोगो का साथ हो और लक्ष्य की ओर ध्यान केंद्रित हो तो सफर की दूरी का पता ही नही चलता।

मैंने वहां महसूस किया कि कला की कोई शब्द या भाषा नही होती सीधे दिल का कनेक्शन होता है।28 सितम्बर को रजिस्ट्रेशन प्रोसेस हुआ 29 और 30 को हमने पेंटिंग्स बनाये।व्यवस्थित और अनुशासित दिनचर्या से मैंने बहुत कुछ सीखा।पेंटिंग बनाने के लिए हमे 4 थीम मिले हुए थे।सुबह 6 बजे से योगा और स्प्रिचुअल क्लास मेडिटेशन जिंदगी के और करीब ले आया।ब्रेकफास्ट के बाद पेंटिंग करते थे।दोपहर लंच के बाद पेंटिंग और डिनर के बाद भी पेंटिंग।रात के 10.30 क्लोज होता था। एक दिन में हमने 9 घण्टे अपने कार्य को शिद्दत से किये।जब आपको अपने काम से प्यार हो ,तो थकावट जैसी शब्द आपसे कोसो दूर ही रहेगी।1 तारीख को रिजल्ट आया,किसी को प्राइज मिला न मिला यह महत्वपूर्ण नही है महत्वपूर्ण था सारे आर्टिस्टों का एक मंच पर होना।

मैं सभी को यही एडवाइस करूँगी की एक बार माउंट आबू जरूर जाए।खुद की बनाई सुविधाजनक चारदिवारी से बाहर निकल कर चीजों को सूक्ष्मता से सीखना-समझना बहुत जरूरी है।माउंट आबू में सभी हेल्पिंग नेचर के है।यहां तक किसी के तबियत खराब होने पर निःशुल्क इलाज की भी व्यवस्था थी।सभी शैड्यूल फिक्स था।एक आर्टिस्ट की नजरों से मेडिटेशन पेंटिंग खाना और सेहत भरी नींद इसके अलावा किसी आर्टिस्ट को क्या ही चाहिए।साथी कलाकारों ने आश्चर्य भरी लहजे में कहा तुम तो एग्रीकल्चर की स्टूडेंट हो और इतनी सुंदर पेंटिंग बना लेती हो।मैंने मुस्कुराते हुए यही जवाब दिया मैं तो एक जरिया मात्र हूं पेंटिंग तो वह ईश्वर बनाता है।

मैं हमेशा से यही सोचती हूँ कि किसी भी जगह का आनन्द तभी है जब हम भौतिक उपस्तिथि के साथ मानसिक रूप से वहां मौजूद हो।एक दो तस्वीरे और सेल्फी लेकर हमे खुशी की अनुभूति नही हो सकती।मैं किसी बुक में पढ़ी थी “भारत की यात्रा कीजिए और यकीन मानिए जो आप है वो नही रहेंगे”।माउंट आबू की जन जीवन और पर्यावरण से मैं ऐसी जुड़ी की जब भी आंखे बंद करती हूं नेचर से जुड़ जाती हूँ।पहाड़ियों से घिरे हुए इस खूबसूरत हिल स्टेशन की सुंदरता मंत्रमुग्ध कर देती है।यहां चारो तरफ हरियाली ही हरियाली दिखाई देती है।

जीवन का हर आम दिन हमें तैयार करता है उस रोमांचक अनुभव के लिए। हमें एक खोजकर्ता की तरह हर दिन की शुरुआत करनी चाहिए। नई जगहों पर जाने पर अगर हमारा ऐसा नजरिया रहा तो शायद हम उस यात्रा, लम्हों और दृश्यों को सही अर्थों में अनुभव कर सकें।पेंटिंग मेरी यात्रा का सबसे रोमांचक हिस्सा रहा है।जीवन की दैनिक हलचल से दूर कभी कभी खुद को रिस्टार्ट करने के लिए ऐसी जगहों पर जरूर जाना चाहिए।

(आपके पास भी रोचक अनुभव या प्रेरणादायी कहानी है तो हमे लिखे satyadarshanlive@gmail.com पर या 7587482923 पर व्हाट्सएप करें)


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