किस्से कहानियां में आज पढ़िए बस्तर की पगडंडियों से निकला साहित्य की दुनिया का सितारा चर्चित युवा कलमकार विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर की कलम से…… रमेश और सुमन की प्रेम कहानी *मुझे देखकर वो मुस्कुराने लगती है*

*मुझे देखकर..वो मुस्कुराने लगती है*
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दुनिया की चमक-धमक और चकाचौंध तो सुमन को भी बहुत भाता था | समय के फेर ने मजबूर कर दिया,पेट की पीड़ा हर किसी को मजबूर कर देती है | अपने आफिस के दूसरी मंजिल से देखने पर ठीक सामने पार्किंग के बगल में कैंटीन के पास ही ठेले में सुमन चाय बनाती है | रमेश हर दिन आफिस में समय से पहले पहुंच जाता और खिड़की की कांच से सुमन को निहारता था | गांव की गोरी चिट्ठी छटक रंग जैसे खेतों में गेंहू की बाली लहलहाती हो,सुंदरता तो जैसे वो स्वर्ग की अप्सरा हो | नशे की लत से मजबूर पति से तंग आकर सुमन ने खुद ही अलग रहने का फैसला कर लिया | फिर दरूहा पति अपनी पत्नी के उपर कई दोष मढ़ने से बाज नहीं आया और वो खुद ही किसी स्त्री के चंगुल में फंस गया | जीवन जिन्दगी भर तिमाही छमाही और वार्षिक परीक्षा लेती है,जो पास तो पास और फैल तो फैल,पर क्या परीक्षा जो जीवन की है अंत तक देना ही है | सुमन रोज ठेले पर आती आफिस में चाय पिलाती और फिर थकी हारी चली जाती शाम को घर पहुंच कर घर के बाल बच्चों की परवरिश में लग जाती |
दिन भर के भाग दौड़ और आपा-धापी में शरीर पस्त हो जाता है | जीवन समझ आता है,रोजी से रोटी का जुगाड़ किसी युद्ध जीतने से कम नहीं लगता है | पर छ इंच के पेट के लिए पूरा दिन खपना पड़ता है,थके हारे शाम को दो रोटी के बाद फिर सुबह से पेट के पचड़े चालू हो जाते हैं,किसी की खिलखिलाती किसी की बिलबिलाती…ज़िंदगी |
सुमन रोज की तरह तैयार होकर काम पर निकल जाती है | रमेश भी आज भी रोज की तरह पहुंच कर दूसरे माले पर खिड़की के ठीक सामने बैठकर कैंटीन के ठेले की ओर देख रहा है | सुमन चाय की गंजी को धोने के बाद पानी के फैंकते ही अचानक खिड़की की ओर नजर जाती है और आधी खुली खिड़की में अंदर से रमेश से नजर मिल जाती है | सुमन अनजान की तरह फिर अपने काम में लग जाती है | फिर मन ही मन एक तूफान भी हिलोरें लेती हैं,कशमकश भरी ज़िन्दगी में मन की इच्छाएं मर जाती हैं,सब कुछ दफन हो जाता है |
फिर चाय लेकर सुमन दूसरे माले पर साहब के चैंबर की ओर पहुंचती है ठीक सामने से ही रमेश गुजरता है,फिर वही नजरें दोनों की मिल जाती हैं पर कोई किसी को कुछ नहीं कहता | सुमन अपने कपड़े ठीक करती हुई सीधे कमरे में घुस जाती है कई सवाल मन में कौंध जाते हैं,इच्छायें बलवती हो रही हैं |
रमेश ने आज अपने दिल की बात कहने की ठान ली और फिर पहुंच गया आफिस रोज की तरह पर मन में कुछ खुशी और मायूसी दोनों छाई हुई है,इधर पता नहीं क्यों आज सुमन को भी अच्छी तरह से तैयार होकर जाने का मन करने लगा | लंबे अरसे के बाद आज तैयार होकर सुमन काम पर पहुंची हैं,आफिस पहुंच कर रमेश ने पहले ही कॉफी के आर्डर चपरासी से भिजवा दिये | सुमन चाय लेकर केबिन में पहुंच गई तभी रमेश ने चाय लेकर सुमन की ओर देखने लगा तभी सुमन ने भी मन को भांप लिया और मुस्कुरा दी | फिर सुमन बाहर ठेले की ओर निकल गई |
कभी चाय तो कभी नाश्ते के बहाने सुमन और रमेंश दोनों में बातें होने लगी | रब की मर्जी को कोई नहीं जानता है समय के साथ सब बदलने लगा | प्रेम परवान चढ़ने लगा,अब जब भी खिड़की खुलती है,तो सुमन,देखकर मुस्कुराने लगती है फिर चेहरा ठीक करती,थोड़ी सी खुशी शर्मीली आंखें मुस्कुराने लगती हैं |
रमेश बहुत खुश है कि जीवन में किसी की आखों में मुस्कुराहट लाने का कारण बन जाता है | सुकून भरे आत्मविश्वास से लबरेज मन में सोंचता है चलो जीवन की मेरी बहुत बड़ी उपलब्धि है,क्योंकि मुझे देखकर वो मुस्कुराने लगती है |
*✍©®*
*विश्वनाथ देवांगन”मुस्कुराता बस्तर”*
कोंडागांव,बस्तर,छत्तीसगढ़
मोबाइल : 7999566755


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