समाज की मुख्य धारा के लिए तरसती महिलाओं की दर्द भरी कहानी…ऐसी महिलाएं जिनका कोई मदद नही करना चाहता…सभी के लिए मसीहा बनकर सामने आई गीतांजलि चोपड़ा…अपनी टीम के साथ वहां के बच्चों के लिए स्कूल खोला…

बड़े शहरों में रहने वाली अधिकांश सेक्स वर्कर्स गांवों या छोटे शहरों से आती हैं। इनमें अपने अधिकारों को लेकर जागरूकता की कमी है, वहीं लॉकडाउन की वजह से फिलहाल ये भी दूसरे अन्य कई लोगों की तरह बेरोजगारी का सामना कर रही हैं।

सेक्स वर्कर्स के लिए चलाई जा रही संस्था आल इंडिया नेटवर्क के अनुसार 50 लाख सेक्स वर्कर्स अच्छे स्वास्थ्य और समाज में सुरक्षा न मिलने जैसे मुद्दों से जूझ रहे हैं। सिर्फ दिल्ली में 60% सेक्स वर्कर्स के पास खाना और दवाईयों जैसी सुविधाएं भी नहीं हैं।

गुड़गांव के गुरुग्राम धुंडेला क्षेत्र में 200 सेक्स वर्कर्स और उनके बच्चे लॉकडाउन के बुरे दौर से गुजर रहे हैं। उनके पास अपनी प्राथमिक जरूरतों को पूरा करने का कोई साधन नहीं है। ऐसे में ”विशेस एंड ब्लेसिंग” एनजीओ की अध्यक्ष और संस्थापक डॉ. गीतांजलि चोपड़ा को जब इन वर्कर्स की हालत का पता चला तो वे उन्होंने अपनी टीम के साथ वहां के बच्चों के लिए स्कूल खोला। वह इन महिलाओं की हर संभव मदद के लिए आगे आईं।

गीतांजलि कहती हैं उस बस्ती की हालत इतनी खराब है यहां एक छोटे से अंधेरे कमरे में पांच लोग रहते हैं। उनके पास खाना और पीने के लिए साफ पानी तक नहीं है। ऐसे में जब से लॉकडाउन हुआ है, तब से इनके हालात और बदतर हो गए हैं। गीतांजलि को उनकी हालत देखकर बहुत दुख हुआ।

गीतांजलि एक समाज सेविका हैं। उन्होंने इंटरनेशल ह्रयुमन राइट्स लॉ में नीदरलैंड की यूट्रेच यूनिवर्सिटी से डिग्री ली है। वे इंटरनेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ह्रयुमेनिटेरियन लॉ, इटली से भी डिग्री ले चुकी हैं। अप्रैल में लॉकडाउन के दौरान गीतांजलि ने 205 सेक्स वर्कर्स को राशन किट बांटी। इसमें आटा, चावल, दाल, तेल और नमक था।

वे कहती है लोगों को खाना पकाकर देने से कच्ची सामग्री देना ज्यादा उपयोगी है। एक जुलाई तक उन्होंने इन वर्कर्स को डिटर्जेंट, साबुन और मास्क भी उपलब्ध कराए। चोपड़ा और उनकी टीम इन वर्कर्स के घर-घर जाकर उन्हें कोरोना वायरस से बचाव के तरीके भी बताती है।

सेक्स वर्कर्स के बच्चों को डांस और गानों के माध्यम से हाथ धोने की सही तकनीक समझाने का काम भी इनकी टीम ने किया। गीतांजलि ने 2014 में अपने एनजीओ विशेस एंड ब्लेसिंग की स्थापना की थी। आज दिल्ली-एनसीआर में इनके 15 सेंटर्स हैं। लॉकडाउन के दौरान दिल्ली-एनसीआर में बेघर और भूखे माइग्रेंट वर्कर्स को गीतांजलि ने सरकार के साथ मिलकर खाना और घर देने में मदद की है।

गीतांजलि के अनुसार लॉकडाउन से पहले भी वे दिल्ली एनसीआर में रहने वाले 600 बेघर लोगों को खाना उपलब्ध करा रहीं थीं और लॉकडाउन के पहले हफ्ते में उन्होंने 9000 लोगों को खाने की सुविधा दी। कोरोना काल में डेली वेजेस पर काम करने वाले 15,000 लोगों को वे खाने की सुविधा मुहैया करा चुकी हैं।

एक सोशल एक्टिविस्ट होने के नाते गीतांजलि को 2018 में वुमेन्नोवेटर अवार्ड से सम्मानित किया जा चुका है। कोरोना काल में गीतांजलि ने न सिर्फ दिल्ली बल्कि असम, झारखंड, तमिलनाडु, उत्तरप्रदेश और पश्चिम बंगाल के 4,919 बेघर परिवारों को राशन किट देकर उनकी मदद की।


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