
संदीप लोककला के क्षेत्र में बढ़ता हुआ एक मेहनती सितारा•••गीतकार चम्पेश्वर गोस्वामी की कलम से
ये कहानी है एक ऐसे कलाकार की जो एक गरीब परिवार से है जिसका नाम है संदीप यदु जिसकी उम्र है 25 वर्ष जो एक छोटे से गांव से है जिसका नाम है किरना तिल्दा जिला रायपुर छत्तीसगढ़, जिसका बचपन से ही कला के क्षेत्र में ध्यान था और सपना था गायक बनना जो कि उस मुकाम तक पहुंचने के लिए उसने बहुत संघर्ष किया, हम आपको बता रहे हैं जब संदीप अपने गांव के ही स्कूल में पढ़ाई कर रहे थे तब ओ 26 जनवरी 15 अगस्त के कार्यक्रम में कक्षा तीसरी में एक रिकॉर्डिंग डांस में भाग लिया जो कि एक जस गीत था,दुकालू यादव जी का गीत नाम था जावत हंव दाई मैं ह दुनिया ल छोड़ के,इस गीत से उसने कलाकारी के क्षेत्र में कदम रखा और गांव के नया साल वाले उत्सव में भाग लिया साथ ही वो अपनी छोटी उम्र से ही कभी भी कहीं भी गाना गुनगुनाता रहता बिना माइक बिना कोई कार्यक्रम में और वो दुकालू यादव जी का जस गीत ज्यादातर गाता था तो कोई कोई गांव के लोग उसे दुकालु नाम से पुकारने लग गये फिर धीरे धीरे संदीप गाने में ध्यान देने लग गया फिर एक दिन आया कि वो एक रिकॉर्डिंग डान्स ग्रुप में कदम रखा पहले वो डांस किये उस ग्रुप में फिर डांस डायरेक्टर के रूप में जाने गए उपाध्यक्ष का पद भी उसे मिला,फिर एक दिन ऐसा आया कि संदीप अपने मुकाम तक पहुंच गया जो उसका सपना था गायक बनने का, सपना साकार होने लग गया फिर वो अपने निर्देशन में 8 गीत स्टूडियो से रिकॉर्ड किया,जिसमें 3 जस गीत और 5 छत्तीसगढ़ी के अलग मुड के गीत थे, उसके रिकॉर्ड जीवन का यह पहला सफर रहा, उसके बाद फिर संदीप ने स्वयं एक छत्तीसगढ़ी लोक कला मंच का निर्माण किया, संदीप यदु कृत रंग सिंगार लोक कला मंच ग्राम किरना जिसमें निर्माता निर्देशक एवं मुख्य गायक के नाम से जाने जाते हैं जो कि उस कार्यक्रम को प्रारंभ किये 1 साल हो गया और उसे बीते एक साल में अपना कदम सोशल मीडिया में रखा जो कि उसके टीम में उसके साथी गण उसके कंधे में कंधा रख कर चल रहे हैं, टिकेश्वर यादव भरत यादव राजेश साहू सनत यदु जो हमेशा उनके साथ रहते हैं, और उस टीम का सपना है कि एक बड़ी टीम खड़ी कर अपने छतीसगढ़ की परंपरा को आगे बढ़ाएँ और सलामत रखें,
संदीप फ़िल्म राजू दिलवाला में प्रकाश अवस्थी जी के साथ 2 गीत में नजर आए और कुछ जगह पर छोटा सा रोल में दिखे उसके बाद 2 फ़िल्म दिलेश साहू जी के साथ किये उसमें हीरो के दोस्त की भूमिका में नजर आये, और इन सभी का श्रेय जाता है उनके माता पिता को जो कि हमेशा संदीप को सपोर्ट किये,संदीप के साथ हमेशा खड़े रहे,उनके आशिर्वाद से और संदीप के चाहने वाले सभी जनता ,
गाँव वालों के आशीर्वाद से ही संदीप आज इस मुकाम में पहुँचा है और गुरु,माता पिता ही है और एक बात कि पिता जी भी एक कलाकार हैं जो कि एक गायक थे और कहीं न कहीं भगवान की कृपा से आज संदीप अपने पिता जी की जगह अपने कला जीवन को आगे बढ़ा रहे हैं••• चम्पेश्वर गोस्वामी