
युवा वर्ग विशेष… आज के युवा वर्ग के लिये कोंडागांव की समीला कोर्राम युथ आइकन बन गई हैं,जिन्होंने सपना संजोया था रक्तदान का छत्तीसगढ़ के कोंडागांव निवासी सुश्री समीला कोर्राम से चर्चित अन्तर्राष्ट्रीय खोजी लेखक युवा हस्ताक्षर विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर की खास खोजी बातचीत – एक मुलाकात रक्तदान के लिए…
अबुझमाड़ की बेटी समीला जिसका जन्म बारूदों और दहशतों के साये में हुआ,बचपन से ही समीला कोर्राम की दिली तमन्ना थी कि वो रक्तदान करे जब उन्होंने रक्तदान किया फिर उनको कितनी खुशी मिली ये तो समीला जी ही बता सकती हैं,और वो शख्स बता सकता है,जिसने जीवन में कभी रक्तदान किया हो | आज के युव वर्ग के लिये समीला कोर्राम युथ आइकन बन गई हैं |
ऐ जिन्दगी तू ही बता दे,
किस लहू में बहती है |
लहू तो लहू ही होता है,
मां मुझे हर वक्त कहती है |
भरे लहू को देखकर मैं भूल गया,
बोतल था पॉलीथीन,मजहब क्या,
राम,प्रीतम,इकबाल एन्थोनी दिखा नहीं,
सब कुछ भूल गया,जय हिंद कह दिया |
छत्तीसगढ़ के कोंडागांव शहर की ऐसी युवती सुश्री समीला कोर्राम कि जो हजारों लोगों को रक्तदान के लिये प्रेरणा दे रही हैं,जो एक मिसाल हैं,युवा महिला रक्तदाताओं व उन प्रेमी मासुकाओं आशिकों के लिये जो लहू बहाकर प्रेम का दिखावा करते हैं,सच्चा प्यार तो मानव सेवा में है,इंसान की मदद करने में है,लहू तो लहू होता है फिर लहू का दान करके पुण्य के साथ प्रेम का भी प्रेम प्रदान करना चाहिये,प्रेम अमर हो जायेगा | गजब के आत्मविश्वास से लबरेज युवा चेहरा से खास बातचीत-
एक मुलाकात रक्तदान के लिए…
युवा रक्तदाता 23 वर्षीया सुश्री समीला कोर्राम का जन्म 1996 में नारायणपुर जिले के नेड़नार(अबुझमाड़) ग्राम में हुआ,पिता का नाम श्री फूलसिंह कोर्राम व माता का नाम श्रीमती कारीबाई कोर्राम निवासी ग्राम बिंजोली जिला कोंडागांव | नक्सल पीड़ीत परिवार होने के कारण इनका परिवार बिखर गया | जिसके कारण ये परिवार से अलग वर्ष 1999 में कोंडागांव में आ गयीं,जहां पर इनकी बड़ी मां श्रीमती सम्पति कोर्राम जी ने की | इनकी प्रारंभिक शिक्षा कोंडागांव में ही हुई और वर्तमान में कॉलेज में द्वितीय वर्ष की छात्रा हैं |
सुश्री समीला कोर्राम ऐसी युवती हैं जो पढ़ाई के साथ साथ जॉब भी करती हैं,जो वर्तमान में 1098 चाइल्ड हेल्प लाइन में टीम मेंबर के पद पर कार्यरत हैं | जो कि 0 से 18 वर्ष के बीच के बच्चे चाहे जो भी हों,जैसे भी हों,उनके हित के लिये कार्य करते हैं | जिसमें नाबालिग बच्चों को खतरनाक जगहों पर काम कराना,बंधुआ मजदूर,शोषण,अत्याचार आदि कार्य इनके जॉब के अन्तर्गत आते हैं | वो कहती हैं कि मुझे खुशी है कि मैं 1098 पर कार्य करती हूं | और आज जिस मुकाम पर हूं उसका सारा श्रेय मेरी बड़ी मां श्रीमती सम्पती कोर्राम को जाता है |
वो आगे कहती हैं कि लोगों की सेवा करना,और इतिहास और संस्कृति से जुड़े साहित्य पढ़ना के साथ ही लोगों के चेहरों पर मुस्कान लाने के वो कार्य जिनसे दिल खुश होता है,बेहद खुशी मिलती है |
पहली बार रक्तदान करने वाली सुश्री समीला कोर्राम का कहना है कि जब मैंने पहली बार रक्त दान किया तो बहुत खुशी हुई है। मैं अपने आप को खुश किस्मत समझती हूं कि इस वैश्विक महामारी के वक्त भी में मेरा रक्त किसी की जान बचाने के काम आ रहा है। वो कहती हैं कि रक्तदान मानवता के लिए मिसाल होता है, इसमें हम रक्त देकर दूसरों की जिंदगी बचाते हैं। रक्तदान एक ऐसी प्रेरणा का स्रोत है जो कि किसका रक्त किस को चढ़ेगा ये जाति बंधन को भी तोड़ता है और मानवता की भावनाओं को प्रेरित करता है। रक्तदान कर आज की युवा पीढ़ी व आमजन को रक्तदान जैसे पुनीत कार्यों में जुड़ना चाहिये |
रक्तदान के लिये आप सभी आगे आयें और जिन्दगी बचाने की इस मुहिम का हिस्सा बनिये,आइये हम सभी जीवन में कम से कम एक बार रक्तदान करते हैं | फिर किसी नये शख्सियत के साथ मिलेंगे तब तक के लिये….इजाजत दीजिये,
चलते चलते….
*अपनी जिन्दगी,अपना लहू पर अभिमान करें*
*चलो हम आप जरूरत मंद को रक्तदान करें*
✍️ विश्वनाथ देवांगन’मुस्कुराता बस्तर’
कोंडागांव,बस्तर,छत्तीसगढ़