देहदान महादान…महोबिया दंपत्ति के देहदान के फैसले से पूरा समाज गौरवान्वित महसूस कर रहा हैं…श्री जगन्नाथ महोबिया ने अपने जन्मदिन के अवसर पर मृत्यु उपरान्त अपना शरीर दान करने की अधिकारिक घोषणा की है…

राजनांदगांव:दान महज शब्द ही नही है,निःस्वार्थ भाव से किया हुआ वह काम जिसमे किसी भी प्रकार से फल की आकांक्षा होती नही है।जगन्नाथ रथ यात्रा के पावन दिन पर डोंगरगढ निवासी श्री जगन्नाथ महोबिया (आलु वाले) अपनी धर्मपत्नी श्रीमती अनिता महोबिया के साथ चिकित्सा महाविद्यालय राजनांदगाँव में मृत्यु उपरान्त अपना शरीर दान करने की अधिकारिक घोषणा शरीर रचना विज्ञान के प्रमुख डॉक्टर अनिल राहुले से मिलकर कर दी है,इस समय उनके साथ साक्ष्य के रूप में डॉक्टर जयकिशन महोबिया(छुईखदान) एवं उमेश महोबिया (राजनांदगाँव) उपस्थित थे।

मरने के बाद एक दिन सभी को खाक में मिल जाना है। कितना अच्छा हो कि मरने के बाद भी हमारा शरीर शिक्षा का माध्यम बन जाए, ताकि चिकित्सक शोधकर पीड़ितों को जीवनदान दे सकें। अगर कोई धार्मिक अंधविश्वास देहदान के संकल्प में आड़े आता है तो याद करिए ऋषि दधिचि को,जिन्होंने लोगों की भलाई के लिए अपनी हड्डियां दान कर दी थीं।

ज्ञात हो कि,श्री जगन्नाथ महोबिया,स्व.श्री गंगाराम महोबिया,माता श्री गिरजाबाई महोबिया के ज्येष्ठ सुपुत्र है। गोल बाजार डोंगरगढ में आलु प्याज के थोक व्यापारी है।पूरे परिवार जिसमे 3 अनुजो,श्री कुमार महोबिया, श्री लक्ष्मण महोबिया, श्री गणेश महोबिया एवं अनुज वधुओ के साथ वार्ड नंबर एक पुराना बस स्टैंड खुटा पारा गिरजा सदन डोंगरगढ जिला- राजनांदगाँव ( छत्तीसगढ) में निवास करते है।

माता पिता के इस सेवा भाव निर्णय से श्री महोबिया के पुत्रों अभिषेक,कोमल,कौशल महोबिया गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं।इनके इस निर्णय से बरई-तम्बोली समाज छत्तीसगढ़ में समाज एवं राष्ट्र के प्रति समर्पण भाव की एक नई ज्योति प्रज्जवलित होगी ।


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