
बलबीर सिंह सीनियर आजाद भारत के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से थे.वह और ध्यानचंद भले ही कभी साथ नहीं खेले लेकिन भारतीय हॉकी के ऐसे अनमोल नगीने थे, जिन्होंने पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया.उनके निधन पर राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दु:ख व्यक्त किया है…
हॉकी के महानतम खिलाड़ियों में से एक तीन बार के ओलंपिक स्वर्ण पदक विजेता बलबीर सिंह सीनियर का सोमवार सुबह 6:30 बजे पंजाब के मोहाली स्थित फोर्टिस अस्पताल में निधन हो गया. वह पिछले दो सप्ताह से कई स्वास्थ्य समस्याओं से जूझ रहे थे.उनके निधन पर राष्ट्रपति,उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री ने दु:ख व्यक्त किया है.
96 वर्षीय बलबीर सिंह के परिवार में बेटी सुशबीर और तीन बेटे कंवलबीर, करणबीर और गुरबीर हैं. उनके बेटे कनाडा में हैं और वह यहां अपनी बेटी सुशबीर और नाती कबीर सिंह भोमिया के साथ रहते थे.
फेफड़ों में निमोनिया और तेज बुखार के बाद बलबीर सिंह सीनियर को आठ मई को मोहाली स्थित फोर्टिस अस्पताल में भर्ती कराया गया था. वह 18 मई से अर्धचेतन अवस्था में थे और उनके दिमाग में खून का थक्का जम गया था.
देश के महानतम एथलीटों में से एक बलबीर सीनियर अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति द्वारा चुने गए आधुनिक ओलंपिक इतिहास के 16 महानतम ओलंपियनों में शामिल थे.
हेलसिंकी ओलंपिक (1952) फाइनल में नीदरलैंड के खिलाफ पांच गोल का उनका रिकॉर्ड आज भी कायम है. उन्हें 1957 में पद्मश्री से नवाजा गया था और यह सम्मान पाने वाले वह पहले खिलाड़ी थे.
बलबीर सीनियर ने लंदन (1948), हेलसिंकी (1952) और मेलबर्न (1956) ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीते थे. वह 1975 में विश्व कप जीतने वाली भारतीय टीम के मैनेजर भी थे.
पिछले दो साल में चौथी बार उन्हें अस्पताल में आईसीयू में भर्ती कराया गया. पिछले साल जनवरी में वह फेफड़ों में निमोनिया के कारण तीन महीने अस्पताल में रहे थे.
कौशल के मामले में मेजर ध्यानचंद के समकक्ष कहे जाने वाले बलबीर सिंह सीनियर आजाद भारत के सबसे बड़े खिलाड़ियों में से थे. वह और ध्यानचंद भले ही कभी साथ नहीं खेले लेकिन भारतीय हॉकी के ऐसे अनमोल नगीने थे, जिन्होंने पूरी पीढ़ी को प्रेरित किया.
बलबीर सिंह सीनियर का जन्म 31 दिसंबर, 1923 को पंजाब के हरिपुर खालसा में हुआ था. उन्हें न केवल भारत बल्कि पूरी दुनिया में हॉकी के सबसे महान खिलाड़ियों में माना जाता है.