
_*सत्यदर्शन साहित्य*_ सत्यदर्शन साहित्य में….आज अन्तर्राष्ट्रीय पटल पर चर्चित छत्तीसगढ़ बस्तर के युवा हस्ताक्षर *विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर* जिनकी पंक्तियों में एक पैनी दृष्टि और पाठक के मन मस्तिष्क तक मारक करने वाली धार होती है,,,,,,,,,,,,जिसमें पढ़ेंगे हम *पलायन पर द्रवित वार करती,कुछ पंक्तियां……* _*वो लोग…*_
*वो लोग*
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पलायन की तलवार से,
बेदम,मूर्छित आते वो लोग,
लौट चलें मितवा अब हम,
घर को वापस आते वो लोग,
प्रियतम बंधु सखा सुत,
थिरक ठुमक फुदक,
छालों में मुस्कुराते वो लोग,
आशियाने की ओर,
लौटते,मस्त,गुनगुनाते वो लोग,
फोटो खींचते लोग,
तस्वीर अच्छी दिखे,
सही पोज बनाते वो लोग,
पसीने की बू पर भी,
सेंक कर रोटी पकाते वो लोग,
मुस्कुराने वालों को भी,
दुखड़ा ग्यान बांटते,
खुद कमाई चक्कर में,
रोना याद दिलाते वो लोग,
मुश्किल हालातों में भी,
जय हिंद बनाते वो लोग,
गरीबी के चूल्हों में भी,
नेक इंसान पकाते वो लोग,
मजदूर को मजबूर बता कर,
खुद थाली से रोटी चुराते वो लोग,
गरीबी गीली आटा में,
गुथी आटे की,लुक छिप,
खुद आटे की गोली,
नजरें बचाकर चुराते वो लोग,
श्रमिक तो बस इक हैं,
इस जग में एक जैसे सारे,
आंखों में भी खुशी के,
सात समंदर लहराते वो लोग,
मैं तो बस सोंच रहा हूं,
ऐसा क्यों है,,’मुस्कुराता बस्तर’
मजदूरों की पसीने की धार में,
रात को बार में बैठकर,
तंदूरी रोटी खाते वो लोग |
*✍️©®Ⓜ️मुस्कुराता बस्तर🅱️*