
*डॉ.चम्पेश्वर गोस्वामी के विचार..मद्यपान और मांसाहार निषेध की पहल…लेखक के लेख में,विचारक के विचार में, मीडिया के समाचार में, साहित्य व साहित्यकार में, इस घातक विनाशकारी दुर्व्यसन की निंदा आवश्यक है…*
मद्यपान और मांसाहार निषेध की पहल हर ओर से हो रही है उसका मैं हृदय से समर्थन करता हूं.क्योंकि यह भयानक दानव समस्त देश के लिए ही नहीं अपितु पूरे विश्व के लिए सर्वनाश का कारण है… इस दिशा में अनेक उद्देश्य परक जन जागरण का काम किया जा रहा है उसे हम सभी का समर्थन होना चाहिए क्योंकि इससे सिर्फ विनाश ही विनाश है…
धर्म और संस्कृति का पतन भी इस विध्वंसकारी व्यसन के कारण होता है इसलिए समूची मानव जाति को इस प्राणघातक आदत से मुक्त कराना आवश्यक है और इसे आह्वान के साथ साथ एक क्रांतिकारी युद्ध की तरह लेने की आवश्यकता है… लेखक के लेख में, विचारक के विचार में, मीडिया के समाचार में, साहित्य व साहित्यकार में… इस घातक विनाशकारी दुर्व्यसन की निंदा आवश्यक है..यह न केवल व्यक्ति का विनाश करता है बल्कि इससे पूरे समाज राज्य व देश,विश्व का भी विनाश होता है…
एक तरफ आर्थिक समस्या का सामना करना पड़ता है वहीं दूसरी तरफ शारीरिक समस्या आम बात है जो मृत्यु तक जाती है इसलिए मैं भी संपूर्ण मानव समाज के हर वर्ग से आह्वान करता हूं कि नशा व मांसाहार सर्वदा अनुचित था और अनुचित रहेगा इसलिए इसका परित्याग करना आवश्यक है.नशा व मांसाहार जैसे आसुरी द्रव्य व आहार का सेवन न करें न करने दें साथ ही साथ सभी से निवेदन है कि अपने आप को अपने मन को चाहे वह जिस भी इस्ट की पूजन करता हो उस पर लगावें साथ ही साथ जीव हत्या से दूर रहें क्योंकि मांसाहार से निरीह प्राणी की हत्या होती है…
समस्त मानव परोपकार के कार्यों में अपने आप को लगा देवें…परिवार गांव राज्य देश व विश्व के कल्याण की सोचें सदैव सकारात्मक व सार्थक चीजों की ओर अपने आप को अग्रसर करें… चाहे वह जिस भी विधा में पारंगत हो उस विधा का विकास करें.व्यर्थ की बातों में स्वयं को उलझाकर इस मानव जीवन को बर्बाद न करें… प्रकृति संरक्षण में अपने मन को लगावें…अंत में संस्कृत के कल्याणकारी श्लोक से अपनी बात को समाप्त करता हूँ कि .सर्वे भवन्तु सुखिनःसर्वे सन्तु निरामया:सर्वे भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद् दु:खभाग्भवेत्….चम्पेश्वर गिरि गोस्वामी(गीतकार,कवि,लेखक)