*सत्यदर्शन साहित्य……में* _*(मनेन्द्रगढ़ की राजकुमारी)*_ आज हम पढ़ेंगे….अलग अंदाज और खोजी लेखन शैली के लिये अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर चर्चित युवा हस्ताक्षर *विश्वनाथ देवांगन उर्फ मुस्कुराता बस्तर* की कहानी…. *_मनेन्द्रगढ़ की राजकुमारी_* में, आर्यन और योगिता के निश्छल दोस्ती व प्यार के बीच,टकराव और विखराव की कहानी, *रिश्तों के आधुनिकीकरण की परिणिति सच्चे रिश्तों का टूट जाना | उफ्फ…! रिश्तों का मशीनीकरण,दोस्ती व प्यार दिल से नहीं हैसियत और सूरत से लगाव |*

मनेन्द्रगढ़ की राजकुमारी
(कहानी)
!

आर्यन कभी सपने में भी नहीं सोचा था,कि योगिता आज रणचंडी का रूपधारण कर आर्यन की भावनाओं की धज्जियां उड़ा देगी | पर यही सच था आज के जीवन शैली की | और होता भी क्यों नहीं दोनों की जीवन शैली में जमीन और आसमान का अंतर था | आर्यन एक कस्बाई इलाके का आधुनिक युवा तो योगिता माडर्न एज़ की मल्लिका | उसको जीवन शैली के हर प्रपंच का पता है,दिल में चाहे जितने अरमान रहें पर चुपचाप गुमसुम तरीके से जीया जाये ताकि किसी को भनक तक न लगे कि किसका,किसके साथ, क्या,कौन सा,कैसा कनेक्शन है | फेसबुक,इंस्टाग्राम,मोबाईल और वाट्सअप पर दोस्ती बढ़ती गई तो आर्यन को भी एक लगाव सा होने लगा योगिता से | समय और समाज ये दो ऐसे महाबली हैं जिनके सामने अच्छे अच्छों का बल शून्य हो जाता है | आर्यन मीठी बातों का पुजारी बन गया और लटकते मटकते द्विअर्थी शब्दों का व्यंग्य जाल से प्रेम के अकुरंण में देर न लगा | दिन महीने साल बीतने लगा आर्यन भी मनेन्द्रगढ़ की ओर अनायास ही कभी कभार बाईक को रूख करने लगा | जहां होटल में चाय चाउमीन पनीर चिल्ली की मिठास के साथ कब प्रेम का लिबास पहने लगे यह सब कुछ ऐसा होता गया कि कुदरत भी सबकुछ अपनी रजामंदी से करवा रहा था |

मनेन्द्रगढ़ देवगिरि की पहाड़ी श्रृंखलाओं से पिरोये किसी फूलों की माला सी अमृत जलधारा,और वनाच्छादित अल्हड़ खूबसूरत वादियो में बसा एक सुरम्य शहर,इसी शहर में पली बढ़ी योगिता एक सुंदर सुशील नव यौवना जो एक धधकती हुस्न की मल्लिका |

आज बेहद अफसोस भरे और कचोटते अंदाज में गुस्से से लाल पीली होकर फोन पर बरस रही है,कि-

“अपने आप को सुपर हीरो समझ रहे हो आर्यन,तुमने मेरी तस्वीर अपनी डीपी पर क्या सोंच कर लगा रखी है कि मैं तुमसे पट जाउंगी,या तुम मेरी सिम्पैथी लेकर जीत जाओगे,मैं तुम पर फिदा हो जाउंगी | तुमने कभी अपनी शक्ल देखी है आइने  में लगूंर,बेवकूफ कहीं के अभी के अभी डीपी और स्टेटस से मेरी फोटो हटा दो वरना बहुत बुरा होगा | तुम मर क्यों नहीं जाते,मेरी जिन्दगी में कलंक बन कर आ गये हो,क्या मैं बोल दूंगी कि तुम मुझे चाहते हो तो डीपी में स्टेटस मेॉ लगा लो तो तुम लगा लोगे | जाओ ना तो मर जाओ | तुमको लगता होगा मैं तुमसे प्यार करने लगूंगी पर अब तुम्हारी हरकतों को देखकर मुझे नफरत सा होने लगा है | तुम मुझे चाहते हो ये अच्छी बात है पर इसे ढोल पीट- पीट कर बताना जरूरी तो नहीं | पहली बार जब तुमने इजहार किया था तो मैंने तुमसे कुछ तो नहीं कहा | आखिर ये क्या पागलपन है,सच में तुम पागल हो | मैं तो कहती हूं तुम मर क्यों नहीं जाते |”

(योगिता ने बिना रूके एक ही सांस में कड़कते बादलों की तरह गिरते गाज की तरह लाकेट लांचर से छोड़े गये गोलों की तरह छलनी करने वाले आवाजों से कह दिया |)

आर्यन ने अपनी डीपी में योगिता की तस्वीर लगाने के आज ही वाट्सअप चैटिंग के दौरान कहा था | आर्यन एक सामान्य सोच का युवा जिसे आधुनिक जीवन शैली और माडर्न लड़कियों के गुर समझ नहीं आते थे | पर इतना तो समझता था कि प्रेम यदि दोस्ती का है तो वह पवित्र रिश्तों के कवर में ढ़का होता है | जिसे महसूस और एहसासों के जरिये बस सुखद अनुभव किया जा सकता है | पर क्या है कि आर्यन एक खुले विचारों वाला और हर बात उम्दा तरीके से रख देता था | जिसको आजकल टपोरी जुबान कहा जाता है | फिर भी शालीनता से पर अति यही हो जाता था कि एक विशेष लगाव था,जिसे निश्छल प्यार का कोपल कहा जा सकता था,जो एक पवित्र धागों से लिपटे बचपन की तरह और यौवन के पार अदहन की तरह अलग अदाओं और फिजाओं से सराबोर था | आर्यन आज उदास और बेजुबान हो गया |

योगिता ने फोन काट दिया,वाट्सअप मैसेज पर लिख कर भेज दिया- जाओ,मरो | अब मुझे कुछ मत कहना | बेवकूफ,अब भी तो डीपी चेंज कर दो | वरना बहुत बुरा होगा, किसी को प्यार करना बुरी बात नहीं,लेकिन पागलपन होना अच्छी बात नहीं,फिर उस प्यार में सम्मान कहाँ होता है,जब पहली बार बताया तो मैं कुछ नहीं बोली थी,बार-बार बता रहे,तब बोली | मुझमे कोई मिठास नहीं.. न जीवन में न जुबान में,मैं अपने बारे में बोल रही |”

आर्यन की बोलती बंद | निश्छल लगाव का तो,पता  नहीं,,क्यों आर्यन आज मौन है | आंख से आंसू की धारा बह रही | पर बताये किससे,कौन सुनेगा दिल की आवाज | रूक-रूक कर सिसकियां आ रही हैं,दिल और दिमाग शून्य हो गया है | सालों की दोस्ती दो पल में छू मंतर हो गया | बेहतर आफ्शन दिल के रिश्तों का कचूमर निकाल कर गटर में फेंक देता है | आर्यन सिसकते हुए सबकुछ अजनबी की तरह मोबाइल पर योगिता की डीपी को देख रहा है |

आर्यन उठकर,फिर आज मनेन्द्रगढ़ की ओर जाने को रूख तो कर लिया,पर कुछ दूर चलकर …यह क्या…वो वापस लौट रहा है,फेसबुकिया और वाट्सअपिया रिश्तों की बुनियाद समझते देर नहीं लग रही | सिसकते हुए बार-बार निहार रहा है डीपी को,उस अजनबी सी मनेन्द्रगढ़ की राजकुमारी को जिसका कभी राजकुवंर होने का ख्वाब सिर्फ ख्वाब सा हो गया |
फिर आंसू,पोछकर | गाड़ी चल पड़ी,गंतव्य की ओर…..यादों में,अपलक लिबास दूर तलक से फिर….वो..मतलती..आती है….महेन्द्रगढ़ की राजकुमारी |

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