
बचपन से ही उन्होंने अपने परिवार में तंगहाली देखीं… लोगों के ताने सुने… आज वह सैकड़ों महिलाओं को संगठित कर आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रही हैं… दृढ़ निश्चयी दिव्यांग ममता चंद्रवंशी की प्रेरणादायक कहानी
कमलेश यादव : जब प्रकृति हमसे कुछ लेती है तो उसकी भरपाई के लिए हमें बहुत कुछ वापस भी देती है। आज हम आपको ममता चंद्रवंशी के बारे में बताने जा रहे हैं जो 2 साल की उम्र में पोलियो से ग्रसित हो गईं। वह बचपन से ही घर-परिवार में तंगहाली देखी। उसने लोगों के ताने सुने, “वह दिव्यांग है, क्या कर सकती है,” लेकिन इन सबके बीच उसने खुद पर भरोसा बनाए रखा. आज वह अपने क्षेत्र की सैकड़ो महिलाओं को संगठित कर आत्मनिर्भरता की नई कहानी लिख रही हैं। ममता चंद्रवंशी को उनके उल्लेखनीय कार्यों के लिए 2013 में छत्तीसगढ़ के राज्यपाल ने सम्मानित किया था।
सत्यदर्शन लाइव ने जब ममता चंद्रवंशी से उनके अतीत से जुड़े सवाल पूछे तो उनकी आंखें नम हो गईं. उन्होंने रुंधे स्वर से बताया कि उनका जन्म छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले के वनांचल ग्राम नवागांव (डोंगरगढ़) में हुआ था. पिता का साया बचपन से ही उठ गया था । माता जी श्रीमती रामकेरी बाई ने दिहाड़ी मजदूरी कर परिवार की जिम्मेदारी उठाई। वह आगे कहती हैं कि हम तीन बहनें और एक भाई थे। लेकिन अचानक भाई का भी निधन हो गया. उस समय कन्या आश्रम सीतागोता में पढ़ाई कर रही थी। घर की विपरीत परिस्थितियों को देखते हुए मैंने 8वीं तक की पढ़ाई पूरी करने के बाद घर लौटने का फैसला किया।
पद्मश्री फुलबासन दीदी की बातों ने बदल दी जिंदगी
मुझे आज भी वह दिन याद है जब पद्मश्री फुलबासन दीदी हमारे गांव में लोगों का हौसला बढ़ाने आईं थीं। मैं बस उनकी बातें सुनती रही और ठान लिया कि मैं भी महिलाओं का समूह बनाकर आगे बढ़ूंगी। जिस तरह दीदी ने मुझ जैसे निष्प्राण शरीर में जीने की नई उम्मीद जगा दी है, वह मेरे लिए भगवान से कम नहीं हैं। मीटिंग के बाद मैंने सबसे पहले गरिमा महिला समूह का गठन कर प्रति महिला 20 रुपये जमा किए और फिर 10 निष्क्रिय महिला समूहों को सक्रिय कर स्वरोजगार के लिए प्रेरित किया गया।
कभी बस से तो कभी ट्रायसिकल से आना जाना करती थी. वह कहती है कि, कुछ लोग मुझे देखकर हंसा करते थे. मैंने किसी की बातों को परवाह न करते हुए निरंतर अपने काम मे ध्यान दिया. पदम श्री फुलबासन दीदी की बातें सुनकर मैं अक्सर यही सोचती कि,”मुझे ऐसा महसूस होता था कि दुनिया में हम किस लिए आए हैं, जिंदगी का कोई तो मकसद होना चाहिए। मेरी जिंदगी किसी के काम आ जाए इससे अच्छी क्या बात हो सकती है।”
ममता चंद्रवंशी अपने जैसे जरूरतमंद दिव्यांगों को योजनाओं का लाभ दिलाने में मदद करती हैं। उन्होंने अपनी दृढ़ इच्छाशक्ति और कड़ी मेहनत से अपने सपनों को पूरा किया। उनकी कहानी में संघर्ष, साहस और सफलता की कई बातें हैं, जो हर किसी को प्रेरित करती हैं। सत्यदर्शन लाइव उनके उज्ज्वल भविष्य की कामना करता है।