कबाड़ से लिखी कामयाबी की कहानी, जानिए ‘द कबाड़ीवाला’ की सक्सेस स्टोरी

आपने शायद ही कामयाबी की ऐसी कोई कहानी सुनी जिसकी शुरुआत कूड़े से हुई हो। ये ऐसे दो युवाओं की कहानी है जिनके पास इंजीनियरिंग कॉलेज की फीस भरने लायक पैसे भी नहीं होते थे। परिवार ने संघर्षों से जूझकर उन्हें इंजीनियर बनाया, लेकिन वे ‘कबाड़ीवाला’ बन गए।

लेकिन, आज उनके स्टार्टअप का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ रुपये से ज्यादा है। वे खुद तो आथिक रूप से समृद्ध हैं ही, उनकी कंपनी 300  से ज्यादा लोगों को रोजगार भी उपलब्ध करा रही है।

कूड़े से लिखी कामयाबी की कहानी
ये कहानी भोपाल के स्क्रैप बेस्ड स्टार्टअप ‘द कबाड़ीवाला’ की है। कूड़े से हुई शुरुआत इतनी कामयाब हुई कि कुछ महीने पहले उन्हें मुंबई के एक इन्वेस्टर कंपनी से 15 करोड़ रुपये की बड़ी फंडिंग मिली है। एमपी के इतिहास में यह पहला मौका है जब किसी स्क्रैप बिजनेस स्टार्टअप को इतनी बड़ी फंडिंग मिली।

इसकी शुरुआत भोपाल के आईटी इंजीनियर अनुराग असाटी और रविंद्र रघुवंशी ने की है, जिन्होंने ‘द कबाड़ीवाला’ के जरिए युवाओं के लिए एक उदाहरण गए है। कामयाबी की ऐसी मिसाल पेश की है जो आने वाले समय में युवाओं के लिए प्रेरणा बन सकती है।

फीस भरने के नहीं थे पैसे
अनुराग असाटी के परिवार की आर्थिक स्थिति अच्छी नहीं थी। वे आठवीं कक्षा में थे, जब मां का निधन हो गया। पापा जनरल स्टोर में काम करते थे। उन्होंने भोपाल के ओरिएंटल कॉलेज में इंजीनियरिंग कोर्स में एडमिशन लिया। ऐसा समय भी आया जब उनके पास फीस भरने तक के लिए पैसे नहीं थे।

ऐसे मिला द कबाड़ीवाला का आईडिया
एक दिन में कॉलेज के बाहर बैठे थे, तभी अचानक कबाड़ी का ठेला कॉलेज के बाहर से निकला। यह देखकर उनके दिमाग में आया कि लोगों को कबाड़ बेचने के लिए भी इंतजार करना पड़ता है। उन्होंने सोचा कि कोई ऐसा एप हो जिससे लोगों को कबाड़ीवाले के लिए इंतजार न करना पड़े।

उनके पास यह सुविधा हो कि वे फोन लगाकर कबाड़ीवाले को घर बुलाएं। उन्होंने इसके लिए एक वेबसाइट तैयार की और एक्शन मोड में आ गए।

खुद घरों से उठाया कबाड़
अनुराग और रविन्द्र ने जब इसकी शुरुआत की तो दो साल तक खुद घरों से आने वाली बुकिंग पर कबाड़ उठाते थे। उनके घर के लोग भी इस बारे में कुछ नहीं जानते थे। जब काम आगे बढ़ा और प्रोग्रेस होने लगी तो उन्होंने घर के लोगों को इस बारे में बताया।

उन्हें समझाया कि भारतीय अर्थव्यवस्था में करीब 3% हिस्सा कबाड़ का है। इसके बाद फैमिली ने भी उन्हें सपोर्ट किया। फिर उन्होंने ‘द कबाड़ीवाला’ के नाम से स्टार्टअप लॉन्च किया।

दोस्त और परिवार से उधार लिए पैसे
इंजीनियरिंग की डिग्री पूरी करने के बाद परिवार का खर्च चलाने के लिए नौकरी की। फिर 2015 में नौकरी छोड़ दी। शुरुआत में परिवार और दोस्तों की मदद से 25 लाख रुपए का निवेश किया अपने बिजनेस आइडिया से संबंधित प्रेजेंटेशन तैयार कर इन्वेस्टर को फंडिंग करने के लिए राजी किया।

2019 में एंजल इन्वेस्टर ने तीन करोड़ रुपए इन्वेस्ट किए थे। अनुराग ने बताया कि उनके स्टार्टअप के लिए तत्कालीन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान सहित केंद्रीय गृह मंत्री गिरिराज सिंह भी उन्हें सम्मानित कर चुके हैं।

आज 10 करोड़ का सालाना टर्नओवर
अनुराग ने बताया कि स्टार्टअप की शुरुआत के बाद उन्हें कई उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा। भोपाल के लोग कबाड़ीवाले को लेकर अच्छा भाव नहीं रखते। वे उन्हें घृणा के नजरिए से देखते हैं। लेकिन आज “द कबाड़ीवाला” का सालाना टर्नओवर 10 करोड़ से अधिक है।

देश के 5 शहरों भोपाल, इंदौर, लखनऊ, रायपुर और नागपुर में यह चल रहा है। करीब 300 लोग इसमें काम कर रहे हैं। अनुराग ने बताया कि आगे चलकर वे 30 से 40 शहरों में इसे शुरू करने की प्लानिंग कर रहे हैं।

 


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