
सभी युवा अपनी सामाजिक जिम्मेदारियों को सही ढंग से निभाकर सकारात्मक बदलाव में योगदान दे सकते हैं… लावारिस शवों का अंतिम संस्कार करने वाले शख्स विजेंद्र यादव
कमलेश: आज युवा दिवस के इस खास मौके पर हम बात करेंगे छत्तीसगढ़ के राजनांदगांव जिले में रहने वाले युवा विजेंद्र यादव (विजय) की, जो पिछले 20 सालों से लावारिश शवों का विधि-विधान से अंतिम संस्कार करते आ रहे हैं।शुरुआत में व्यतिगत रूप से अंतिम संस्कार करते थे फिर बाद में युवा मुक्तांजलि सेवा संस्था की स्थापना की गई। इस टीम में तकरीबन 20 युवा जुड़े हुए हैं जो बड़े उत्साह के साथ निस्वार्थ भाव से सेवा कार्यों में अपना समय देते हैं. वो कहते हैं कि हमें सम्मान नहीं चाहिए. न ही हम सुर्खियों में रहना चाहते हैं. हम तो सिर्फ एक माध्यम हैं, ऊपर बैठा भगवान सब कुछ कर रहा है।
विजेंद्र यादव ने सत्यदर्शन लाइव को बताया कि, ऐसे कई मौके आए हैं जब क्षत-विक्षत शवों के पास कोई नहीं जाता था कई शव तो काफी पुराने होते थे। ऐसे भी कई लोग है जो ट्रेन में कटकर आत्महत्या कर लेते है उनके वारिसदार न होने की स्थिति में हम लोग दिल से उन्हें अपना मानते हैं और अंतिम संस्कार करते हैं। मेरा मानना है कि भगवान ने हम सभी को इंसान के रूप में भेजा है और यह मानवता सबसे बड़ा रिश्ता है।’
गौरतलब है कि शहर के नजदीकी थाना क्षेत्र में आए दिन ऐसी घटनाएं घटती है जिसमे शव का कोई वारिश ही नही होता है।मानवता को सर्वोच्च स्थान देते हुए संस्था के सभी सदस्य किसी भी मौसम में मदद के लिए तैयार रहते हैं।विजेंद्र यादव ने निराश्रितों के अंतिम संस्कार की प्रक्रिया में अपनी शक्ति और संवेदनशीलता का उपयोग किया है। उनका यह कार्य समाज में एक सकारात्मक परिवर्तन की ओर कदम बढ़ाता है।
विजेंद्र की मेहनत और सेवा युवा पीढ़ी के लिए एक उदाहरण है। उसकी सेवा भाव हमें यह सिखाती है कि अगर हम अपनी क्षमताओं का सही तरीके से उपयोग करें और समर्पित रूप से सेवा करें, तो हम किसी भी कठिनाई को पार कर सकते हैं और समाज में सकारात्मक परिवर्तन ला सकते हैं।