*सत्यदर्शन विशेष….* नौकरी करते हुए छत्तीसगढ़ पर्यटन को दिया बढ़ावा…सोशल मीडिया में कर रहे हैं,सैलानियों को जागरूक…बिलासपुर जिले के संदीप ने छत्तीसगढ़ी बोली,भाषा,वेशभूषा,लोक संस्कृति को दुनिया को करीब से दिखाने का कर रहे प्रयास…, छत्तीसगढ़ डायरीज में जुड़े हजारों लोग…..

2096

बिलासपुर :- प्रकृति का सौन्दर्य,विरासत की धरोहरें, जनजातीय संस्कृति,परम्परागत अंदाज और सभ्यता की विशिष्टियां छत्तीसगढ़ में देखने को मिलती है।अपनी हरी-भरी वादियों,खुबसूरत पहाड़़ियों,झीलों और धार्मिक स्थलों के कारण छत्तीसगढ़ ने भारत मे एक खास पहचान बनाया है। कुछ लोग प्रचारित भय के कारण इन खुबसूरत पर्यटक जोन में जाने से डरते हैं। इसी भय को दूर करने बिलासपुर का यह शख्स,अपने फोटोग्राफी के दम पर लोगों को जागरूक करने का प्रयास किया,ताकि छत्तीसगढ़ को लोग अपने करीब से जान सकें। पर्यटक के रूप में विदेश न जाकर यहां के नैसर्गिक खुबसूरती का आनंद लें। ऐसे ही शख्सियत का नाम है संदीप | डॉ. रेड्डी दवाई कम्पनी में दवा प्रतिनिधि के रूप में कार्यरत हैं, अक्सर मीटिंग के लिए विभिन्न शहरो व स्थानों पर जाना पड़ता है। बस यहीं से शुरुआत होती है छत्तीसगढ़ दर्शन की कहानी। काम के व्यस्ततम समय को निकालकर छत्तीसगढ़ की जीवंत सांस्कृतिक विरासत को हम सभी के सामने लाने प्रयासरत रहे हैं।

पिताजी बाल्को के सेवानिवृत्त कर्मचारी हैं,प्राथमिक शिक्षा कोरबा में हुई,आगे की पढ़ाई कर्नाटक में और बैचलर की डिग्री भिलाई से मिला है। मध्यमवर्गीय परिवार से ताल्लुक रखने वाले संदीप का फोटोग्राफी हॉबी रहा है। नौकरी लगने के बाद सबसे पहले अपने लिए एक कैमरा खरीदा है,ताकि प्रकृति के निःशब्द संदेशों को एक अर्थ दे सकें।

  *छत्तीसगढ़ डायरीज का निर्माण*

       प्राकृतिक झरनों और जैव-विविधता से सम्पन्न है छत्तीसगढ़।यहां की  बोली,भाषा,पहनावा, लोकसंस्कृति सभी मनमोहक हैं, संगीत और नृत्य जीवन का अहम हिस्सा है। इसी उद्देश्य को रखकर सोशल मीडिया में छत्तीसगढ़ डायरीज का निर्माण किया गया जिसमें हजारों फॉलोवर्स हो गए हैं। निश्चित ही बाहर के पर्यटकों को यह अपनी ओर आकर्षित कर रहा है।

विदेश जाने वालों को सन्देश
सांस्कृतिक और सामाजिक चेतना का केंद्र छत्तीसगढ़ अपने अंदर कुदरत के अनुपम उपहार को आत्मसात किया हुआ है।ऐसी प्राकृतिक खुबसूरती जो मन को खुशियों से भर दे। यहा के झरने,गुफाओं,घने वनो,सुनहरी वादीयों का अपना एक अलग महत्व है। जिसके करीब जाने से एक अलग ही शुकून मिलता है।यहा आने वाले सैलानियों को एक नैसर्गिक सौंदर्य स्वर्ग की अनुभूति होती है।

डॉ.नरेंद्र देव वर्मा द्वारा लिखित छत्तीसगढ़ राज्य गीत
*अरपा पैरी के धार, महानदी हे अपार*
*इँदिरावती हा पखारय तोर पईयां*
*महूं पांवे परंव तोर भुँइया*
*जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मईया*
         छत्तीसगढ़ के गांवों में आज भी जीवन का राग,गूंजता है। यहां के रहवासियों का सामूहिक जीवन शैली,ताकत ही आस्था का मुख्य केंद्र है। प्रकृति को देवतुल्य और वृक्षों की आराधना की  जाती है।

     नौकरी में रहते हुए संदीप ने छत्तीसगढ़ के पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए जो काम किया है, निश्चित ही इससे छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ा है। भारत का छोटा सा संस्करण छत्तीसगढ़ कला,संस्कृति का अनोखा संगम जहा विभिन्न बोली,भाषा होने के बावजूद सभी आपसी भाईचारे का जीवट जीवन दर्शन होता है |सत्यदर्शन लाइव सैलानियों से अपील करता है कि यहां की खुबसूरत वादियों का लुफ्त उठायें….
एक बार छत्तीसगढ़ देखें,
*छत्तीसगढ़ नहीं देखा,तो फिर दुनिया क्या देखा,,,,?.*
जय जोहार जय छत्तीसगढ़

(उपरोक्त फ़ोटो और वीडियो छत्तीसगढ़ डायरीज वाल से साभार)

(यदि आपको इस कहानी से प्रेरणा मिली है या आप अपने किसी अनुभव को हमारे साथ बांटना चाहते हो तो हमें satyadarshanlive@gmail.com लिखे,
या Facebook पर satyadarshanlive.com पर संपर्क करे। आप हमें किसी भी प्रेरणात्मक ख़बर का वीडियो भी भेज सकते हैं।)

Live Cricket Live Share Market