सात-समंदर पार छत्तीसगढ़िया..उत्तरी अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन(NACHA)…बस्तर संभाग के युवा गणेश कर की अनुकरणीय पहल…

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कमलेश यादव,रायपुर:-छत्तीसगढ़ की सभ्यता, संस्कृति और संवृद्धि का झलक सात समंदर पार अन्य देशों के लिए आकर्षण का विषय बन गया है।अमेरिका में रहने वाले छत्तीसगढ़ के लोगो ने अपने जन्मभूमि की अविस्मरणीय यादे और मिट्टी की खुशबू लिए उत्तरी अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन(नाचा)की स्थापना फरवरी 2017 में किया है।जिसका मुख्य उद्देश्य विदेशों में रहने वाले छत्तीसगढ़ के लोगो को छत्तीसगढ़ की लोक-कला,संस्कृति,शिक्षा,संस्कार से जोड़े रखना है।वर्तमान में 2000 से अधिक NRI इस संस्था से जुड़ गए है।

NACHA को समझने के लिए आपको लिए चलते है बस्तर के खूबसूरत वादियों में बस्तर सम्भाग का छोटा सा शहर बचेली जहाँ से गणेश कर की सफरनामा शुरुआत हुई।गणेश कर जिन्होंने उत्तरी अमेरिका में इस संस्था की नींव रखी है।पिताजी राम मंदिर में पुजारी थे।पिताजी को पूजा करते हुए देखते ही पूजा का सही अर्थ समझ मे आया..पू+जा अर्थात पूरा जानना स्वयं को जानने की सही क्रिया ही पूजा है।बस इसी मूलमंत्र को जिंदगी का मकसद बना लिए शिक्षा से ही हम स्वयं को पहचान सकते है।कहते है कड़ी-मेहनत का कोई विकल्प नही जिसका परिणाम ये रहा तमाम संघर्षो के बावजूद नार्थ अमेरिका में अच्छी जॉब में रहकर छत्तीसगढ़ के लिए कुछ कर गुजरने की चाहत से नाचा की नींव रखी गई  है।

अंतर्राष्ट्रीय अनुभव
उत्तरी अमेरिका छत्तीसगढ़ एसोसिएशन(नाचा) बहुउद्देश्यीय रचनात्मक कार्यो में सांस्कृतिक विरासत को जिंदा रखने के साथ साथ छत्तीसगढ़ के युवाओं के लिए रोजगार के अवसर ,मार्गदर्शन में भी सहायक सिद्ध हो रहे है।छत्तीसगढ़ में भी सरकार के पास NRI विभाग के लिए प्रस्ताव लंबित है।जल्द ही इसमे कोई ठोस निर्णय सरकार के तरफ से लिया जाएगा।कनाडा में भी नाचा का विस्तार किया गया है।युवा उद्यमी के लिए अमेरिका-कनाडा में व्यवसाय के लिए नए रास्ता खुलेगा।

छत्तीसगढ़ ट्यूरिज्म
कहते है,दूरियां रिश्तों को और करीब लाती है।सुंदर वादियों का संस्मरण छत्तीसगढ़,जो सैलानी यहा एक बार आ जाए उन्हें वापस जाने का मन ही न करे।सुंदर प्राकृतिक वातावरण के साथ मन को मोहने वाले भोले भाले लोग बरबस ही पूरे विश्व का ध्यान खिंचती है।नाचा के माध्यम से पूरे विश्व समुदाय में छत्तीसगढ़ को अलग नजरिया से देखा जा रहा है।वहा के रहने वाले लोगो के दिलो में यहा की लोक संस्कृति,खान-पान,गुरतुर बोली बिल्कुल सजीव रूप में आंखों के सामने में है।निश्चित ही छत्तीसगढ़ पर्यटन के लिए यह शुभ संकेत है।

दुनिया के किसी भी कोने मे हम रहे लेकिन अपने जड़ो की देखभाल उतनी ही जरूरी है जितना हमारा जीवन ।कहते है जननी जन्मभूमि स्वर्ग से भी श्रेष्ठ है।छत्तीसगढ़ के हजारों लाखों युवा जो नए सपने लेकर आगे बढ़ रहे है ऐसे युवाओं के लिए एक बेहतर मार्गदर्शन और संस्कृति को विज्ञान के साथ सामंजस्य बिठाकर नए अवसर तलाशने की जरूरत है।वक्त आ गया है पूरी दुनिया को दिखाने का छत्तीसगढ़िया देहाती भी नासा में बैठकर प्लानिंग कर सकता है।हमारी सोच,हमारी सामर्थ्य और बौद्धिक क्षमता किसी से कम नही है।बस सही दिशा की आवश्यकता है।नाचा का विजन भी यही है यहा के लोगो का सम्पूर्ण विकास।

NACHA यहा की संस्कृति को विश्वपटल पर ले जाकर लोगो को जीवन जीने की कला सिखाते हुए  यहा की आदिवासी जीवनशैली की जानकारी दे रही है।जिसकी पहचान उसकी सदियो पुरानी भाषा,लोककला,धार्मिक प्रथाएं,रीति-रिवाज और परम्पराएं रही है,सही मायने में यह समुदाय समूची दुनिया के प्रकृति व पर्यावरण का असली संरक्षक रहा है।

NACHA से जुड़े हुए सभी सदस्यो का सामूहिक प्रयास से छत्तीसगढ़ के सभी जनता को अच्छा लाभ मिल सकता है।श्री गणेश कर ने युवाओं को सन्देश देते हुए कहा है कि”अपने कार्य को पूर्ण करने के लिए अपना जी-जान लगा दीजिए,फिर सफलता आपके कदम चूमेगी”।दुनिया के विभिन्न देशों में भारतीय है,यहा की संस्कृति यहा का संस्कार से लोग समझ जाते है कि यह सभी भारतीय है।मतलब भारत ही हमारी पहचान बन जाती है।सत्यदर्शन लाइव की पूरी टीम के तरफ से NACHA को सैल्युट…छत्तीसगढ़िया सबले बढ़िया…जय हिंद जय भारत

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